सिरपुर छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में महानदी के तट स्थित एक पुरातात्विक स्थल है। इसका प्राचीन नाम श्रीपुर है यह एक विशाल नगर हुआ करता था तथा यह दक्षिण कोशल की राजधानी थी।
- सोमवंशी नरेशों ने यहाँ पर राम मंदिर और लक्ष्मण मंदिर का निर्माण करवाया था। ईंटों से बना हुआ प्राचीन लक्ष्मण मंदिर आज भी यहाँ का दर्शनीय स्थान है।
- यह पांचवी से आठवीं शताब्दी के मध्य दक्षिण कोसल की राजधानी थी।
सिरपुर महोत्सव : सिरपुर के एतिहासिक महत्व को देखते हुए छत्तीसगढ़ शासन की तरफ से प्रत्येक वर्ष माघ पूर्णिमा पर तीन दिवसीय सिरपुर महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
5 फरवरी से 7 फरवरी तक चलने वाले इस आयोजन में स्थानीय कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। इस आयोजन में विविध छत्तीसगढ़ संस्कृति और कला के दर्शन होते हैं, जो इस आयोजन को विशेष बनाते हैं।
गंधेश्वर महादेव मंदिर : महानदी के तट पर सिरपुर में गंधेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है। इसके दो स्तम्भों पर अभिलेख उत्कीर्ण हैं। कहा जाता है कि चिमणाजी भौंसले ने इस मन्दिर का जीर्णोद्वार करवाया था।
बौद्ध विहार, लोककला एवं संस्कृति का केंद्र : सिरपुर से बौद्धकालीन अनेक मूर्तियाँ भी मिली हैं। जिनमें तारा की मूर्ति सर्वाधिक सुन्दर है। सिरपुर का तीवरदेव के राजिम-ताम्रपट्ट लेख में उल्लेख है।
अलाउद्दीन खलिजी का हमला : 14वीं शती के प्रारम्भ में, यह नगर वारंगल के ककातीय नरेशों के राज्य की सीमा पर स्थित था। 310 ई. में अलाउद्दीन खलिजी के सेनापति मलिक काफूर ने वारंगल की ओर कूच करते समय सिरपुर पर भी धावा किया था, जिसका वृत्तान्त अमीर खुसरो ने लिखा है।