Dakshina Kosala

सिरपुर महोत्सव ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्ता का केंद्र

सिरपुर छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में महानदी के तट स्थित एक पुरातात्विक स्थल है। इसका प्राचीन नाम श्रीपुर है यह एक विशाल नगर हुआ करता था तथा यह दक्षिण कोशल की राजधानी थी। सोमवंशी नरेशों ने यहाँ पर राम मंदिर और लक्ष्मण मंदिर का निर्माण करवाया था। ईंटों से बना हुआ प्राचीन लक्ष्मण मंदिर आज […]

सिरपुर महोत्सव ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्ता का केंद्र Read More »

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि “जब छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जाने का मौका मिले तो मिलेट कैफे जाकर वहां के व्यंजनों का आनंद जरूर उठाएं।”

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में रागी, कोदो, कुटकी जैसे मोटे अनाजों और लघु धान्य फसलों की पैदावार बढ़ाने, इनकी खरीदी की अच्छी व्यवस्था सुनिश्चित करने और इनकी प्रोसेसिंग कर इन्हें शहर के बाजारों तक पहुंचाने के लिए मिशन-मिलेट शुरू किया गया है। राज्य सरकार ने कोदो, कुटकी और रागी का समर्थन

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि “जब छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जाने का मौका मिले तो मिलेट कैफे जाकर वहां के व्यंजनों का आनंद जरूर उठाएं।” Read More »

मावली देवी मंदिर, तरपोंगा, रायपुर

रायपुर में शिवनाथ नदी के तट पर स्थित मावली देवी मंदिर स्थली है। इस मंदिर में महिषासुरमर्दिनी की प्रतिमा मावली माता के रूप में पूजित है। मावली माता मंदिर, सिंगारपुर, बलौदाबाजा बलौदाबाजार जिले के सिंगारपुर में स्थित मावली माता के मंदिर में माना जाता है की ब्रह्मा, विष्णु और महेश की इच्छा से माउली माता

मावली देवी मंदिर, तरपोंगा, रायपुर Read More »

झुमका जल महोत्सव 2023

दो दिवसी झुमका जल महोत्सव का आयोजन 17 एवं 18 जनवरी को कोरिया जिले के झुमका बोट क्लब में हुआ। महोत्सव के पहले दिन ओडिसी नृत्यांगना श्रीमती पूर्णाश्री राउत, बॉलीवुड सिंगर श्री विनोद राठौर जी और छत्तीसगढ़ी कलाकार अनुज शर्मा, आरू साहू, सुनील मानिकपुरी जी ने अपनी प्रस्तुतियां देकर महोत्सव को आकर्षक बनाया। झुमका आइलैंड

झुमका जल महोत्सव 2023 Read More »

छेरछेरा “मां शाकंभरी जयंती” तिहार

छत्तीसगढ़ में छेरछेरा लोक पर्व पौष पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ प्राचीन काल से ही दान परम्परा का पोषक रहा है। यहॉं की जीवनधारा कृषि पर आधारीत है। यहॉं की प्रमुख फसल धान की खेती है। किसान धान की बोनी से लेकर कटाई और मिंजाई के बाद कोठी में रखते है।  छेरछेरा लोक

छेरछेरा “मां शाकंभरी जयंती” तिहार Read More »