छेरछेरा “मां शाकंभरी जयंती” तिहार

छत्तीसगढ़ में छेरछेरा लोक पर्व पौष पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ प्राचीन काल से ही दान परम्परा का पोषक रहा है। यहॉं की जीवनधारा कृषि पर आधारीत है। यहॉं की प्रमुख फसल धान की खेती है। किसान धान की बोनी से लेकर कटाई और मिंजाई के बाद कोठी में रखते है। 

  • छेरछेरा लोक पर्व को छेरछेरा पुन्नी या छेरछेरा तिहार भी कहते हैं, इसे दान पर्व माना जाता है।  
  • इस दिन बच्चे और बड़े, सभी के घर-घर जाकर अन्न का दान ग्रहण करते हैं तथा युवा डंडा नृत्य करते हैं।
  • छेर छेरा के दिन शाकंभरी देवी की जयंती मनाई जाती है।

ऐसी लोक मान्यता है कि प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ में अकाल पड़ने के कारण लोगों की मौत भूख और प्यास से होने लगी थी। फिर लोगों की पूजा एवं प्रार्थना से प्रसन्न होकर अन्न, फूल-फल व औषधि की देवी शाकम्भरी प्रकट हुई और अकाल को सुकाल में बदल दिया।  

“छेर छेरा……. माई कोठी के धान ला हेर हेरा”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *