मदकु द्वीप शिवनाथ नदी पर मुंगेली जिले में बेतालपुर गांव से कुछ ही दूरी पर स्थित है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रचलित इस द्वीप का निर्माण प्रागैतिहासिक काल में हुआ। शिवनाथ नदी की धारा के मध्य स्थित लगभग 24 हेक्टेयर के क्षेत्र में विस्तृत यह पर्वताकार संरचना एक द्वीप के समान दिखाई देती है।
मदकु द्वीप को ऋषि मांडुक्य के तपो स्थान के रूप में भी नामित किया गया है। कहा जाता है कि ऋषि मंडुक ने यहां मुंडकोपनिषद की रचना की, इसलिए उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम मदकु द्वीप पड़ा। इस महाकाव्य के पहले खंड का छठा मंत्र “सत्यमेव जयते” भी संविधान में शामिल किया गया है।
मदकू द्वीप के आसपास मध्य पाषाण युगीन विविध पाषाण उपकरण खोजे गये हैं, जिससे आदिमानवों के गतिविधियों का परिचय मिलता है।
- इंडियन इपिग्राफी प्रतिवेदन में यहाँ दो शिलालेखों का उल्लेख है। इसमें से एक लगभग तीसरी सदी ईस्वी का ब्राहमी अभिलेख है, जिसमें अक्षय निधि का उल्लेख है। दूसरा शिलालेख शंख लिपि में है।
- 10वीं -11वीं सदी के दो अत्यंत प्राचीन शिव मंदिर इस द्वीप पर स्थित हैं।
- यहां रतनपुर के कलचुरि राजा बलि और अन्य अनुष्ठान करते थे।
इस स्थल के मुख्य आराध्य शिवलिंग, धूमनाथ के नाम से एवं विष्णु कृष्ण के रूप में पूजित है। नदी के मध्य स्थित द्वीप की मान्यता केदार तीर्थ के रूप में होती है। इन्हीं तीनों का सम्मिलित रूप हरिहर क्षेत्र केदार द्वीप के रूप में इस स्थल को प्रकाशित करता है। मदकू द्वीप में स्थापित शिवलिंग ‘धूमनाथ” के नाम से प्रसिद्ध है। धुम्र (धुंआ) के समान काले रंग के पाषाण से निर्मित होने के कारण संभवतः यह नामकरण किया गया जान पड़ता है।
पूर्व काल में भीषण बाढ़ के फलस्वरूप मदकू द्वीप स्थित मंदिर ढहते गये और धीरे-धीरे भू-सतह से 1.50 मीटर के जमाव में ढंकने चले गये। उत्खनन से मदकू द्वीप के प्राचीन इतिहास का रहस्य प्रकट हुआ है। वर्तमान में ये पर्यटन स्थल के रूप में लोकप्रिय हो चुका है।
पौष पूर्णिमा (छेर-छेरा पुन्नी) के समय यहाँ सात दिनों तक और शिवरात्री (फाल्गुन अमावस्या) एवं हनुमान जयन्ती (चैत्र पूर्णिमा) के अवसर पर यहीं विशाल मेला भरता है। ईसाई धर्मानुयायियों के द्वारा आयोजित मेला प्रतिवर्ष 10 से 18 फरवरी के मध्य भरता है।
मदकू द्वीप के निकट कबीर पंथ के अनुयायियों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल दामाखेड़ा (रायपुर) एवं देवरानी जेठानी मंदिर ताला (बिलासपुर) प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।