प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना

कोरोना महामारी के दौरान पूरे देश के कई लोगों की छोटे या बड़े कारोबार बंद हो गए या तो बंद होने के कगार पर आ गये। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार कई सारी योजनाएं ला रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 मई 2020 को प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना की शुरुआत की। जो लोग खाने पीने का कारोबार शुरु करना चाहते हैं सरकार की तरफ से मदद राशि मिलता है। जिससे वो घर बैठे अपना कारोबार शुरु कर सकते हैं। पहले ये योजना राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए शुरु की गई थी ताकि छोटे कारोबार करने वाले लोग इसे अपना सकें और अपना काम बढ़ा सकें। सरकार को भरोसा है की इस योजना देश की अर्थव्यवस्था मे काफी सुधार आयेगी और लोगों को रोजगार भी मिलेगा। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना के तहत सरकार की ये योजना है वे 2020 से 2025 तक के 5 वर्षों में 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी। इस पूरे खर्च मे 60 प्रतिशत भागीदारी केंद्र सरकार की और 40 प्रतिशत की भागीदारी राज्य की रहेगी। पूर्वोत्तर और हिमालय के आसपास के राज्य में 90 प्रतिशत केंद्र सरकार की और 10 प्रतिशत राज सरकार की भागीदारी रहेगी वही केंद्रशासित प्रदेशों में भी 60 और 40 के अनुपात मे हिस्सेदारी रहेगी। इस योजना के माध्यम से छोटे और लघु व्यवसाय करने वालों को केंद्र सरकार की तरफ से लाभ मिलता है। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना के माध्यम से रोजगार के अवसर भी बड़ रहा है। आर्थिक सहायता के साथ सरकार कौशल प्रशिक्षण एवं प्रशासनिक सहायता के अतिरिक्त एम आई एस योजना का प्रचार प्रसार करने की सुविधा भी मुफ्त करेगी । केन्द्र सरकार के इस योजना से कई बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

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