पहले के लोग बैल गाड़ी से यात्रा कर लेते थे और खेती बाड़ी के लिए भी बैलो का ही सहारा लेते थे। उस समय गांव में कच्ची सड़के थी फिर समय के साथ बदलाओ आया और सरकार की नजर इस समस्या पर पड़ी और धीरे धीरे पक्की सड़क बनाने की योजना पर बात होने लगी फिर तत्कालिक प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के नेतृत्व में 20 दिसंबर 2000 को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की शुरुआत हुई थी। 2000 के जनगरणा के अनुसार असंबंध बस्तियों को जोड़ने के लिए सरकार इस योजना की शुरुआत की है। जैसा कि आपलोग जानते है कि किसान इस देश की ताकत है और किसानों की मदद के केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना शुरू की। अब गावों रहने वाले किसान भाई अपनी तैयार फसलों को इन्ही सड़कों के माध्यम से शहरों में और मंडियों मे बेच रहे हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का पहला चरण 20 दिसंबर 2000 मे शुरु हुई। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पक्की सड़क बनाकर के उन सड़कों को मुख्य सड़कों से जोड़ना था और उन गावों की संपर्कविहीन बसावटों को सड़कों से का लक्ष्य रखा गया जहाँ जनगरणा मे 500 या उससे अधिक लोग रहते हैं साथ ही पहाड़ी राज्यों,जनजातीय जिलों एवं मरुस्थलीय क्षेत्रों मे जहाँ जनसंख्या 250 या उससे अधिक जनसंख्या वाले जगह मे सड़क बनाना था और पहले चरण मे 6 लाख 46 हजार 728 सड़कें बनाने की मंजूरी दी गई।
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का दूसरा चरण 2012-13 में शुरु किया गया। इसका उद्देश्य मौजूदा सड़कों पर फिर से सड़क बिछाना, सड़कों को चौड़ा व सीधा करना था। पहले की सड़कों की चौड़ाई 3.75 मीटर थी जिसे अब बढ़ाकर 5.5 मीटर कर दी गई है। नविनिकरण के लिए लगभग 50 हजार किलोमीटर सड़कों की पहचान की गई जिनमें 4 हजार 832 किलोमीटर की सड़कों को मंजूरी मिली। 32 हजार 163 किलोमीटर सड़कों का नविनिकरण किया गया जिसमे केंद्र सरकार 75 प्रतिशत और राज्य सरकार 25 प्रतिशत लागत का अनुदान दिया था और पहाड़ी व मरुस्थलीय क्षेत्र में 90:10 का अनुदान था।
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का तीसरा चरण जुलाई 2019 मे शुरू हुई जिसकी समयावधि 2019-20 से 2024-25 तक है। जिसमें 1 लाख 25 हजार किलोमीटर की सड़कें बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। मैदानी क्षेत्र में केंद्र व राज्यों के बीच लागत का अनुपात 60:40 है और पूर्वोत्तर व पहाड़ी क्षेत्र में लागत का अनुपात 90:10 है। इसका मुख्य उद्देश्य पहले से बनी सड़कों को ग्रामीण कृषि बाजारों से जोड़ना है।