छत्तीसगढ़ राज्य में काँग्रेस पार्टी के भूपेश सरकार की एक और सरहानीय योजना में से एक ये सुराजी गाँव योजना है। जिसकी शुरुआत 1 जनवरी 2019 से की गयी थी । इस योजना से सरकार वन क्षेत्र मे रहने वाले गाँव के लोगों की आय व्यवसाय और उनके कमाई करने की तरीके मे सुधार लाना चाहती है । सुराजी गाँव योजना में नरवा, गरुवा, घूरवा और बारी इन्हें बचाते हुए इन सब मे सुधार लाकर के ग्रामीण लोगों की आय उनकी रहन सहन और उनके जीवन में सुधार लाना है ।
नरवा :- नरवा का मतलब नहर के पानी से है । बरसात का पानी नहर में व्यर्थ ही बहते रहते है और ऐसे में बरसात का सारा पानी जल्द ही खत्म हो जाती हैं । इसके लिए सरकार नाला बनवाई है और नहर मे छोटे छोटे बांध भी बनवाई है । और लगभग सभी गांवों में तालाब भी रहता है । इन सब कामो और साधनों से सरकार जल का संरक्षण करने मे मदद करती हैं और गाँव के लोग चाहें तो आपस मे सलाह मशुरा करके और सरकार की अनुमति से मछली पालन भी कर सकते हैं ।
गरुवा :- गाय को छत्तीसगढ़ी में गरूवा बोलते हैं पहले के लोग गाय या कोई भी पशु की सेवा तन मन से करते थे और गाय को गौमाता मानते थे गाँव मे रहने वाले बहुत सारे लोगों की आज भी यही धारणा होती हैं। लेकिन आजकल कही भी आने जाने से रास्ते से अवारा पशु दिख जाते हैं। हमारे समाज मे ऐसे कई लोग हैं जो गायों की सही तरीके से पालन पोषण नही कर पाते है और इसीलिए गायों को खुला छोड़ देते हैं। इसके लिए सरकार हर पंचायत में एक गोठान बना रहे हैं और गाय के गोबर को खरीद रहा है खाद बनाने के लिए और जैविक खाद को बढ़ावा दे रहा है।
घुरूवा :- घुरूवा से तात्पर्य खाद्य से है। आजकल किसान अपने खेत मे रासायनिक खादों और दवाइयों का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे लोगों के सेहत मे कई तरह की बिमारियाँ देखने को मिल रही है। जिसके कारण सरकार भी अब जैविक खाद गोबर खाद गौ मूत्र इन सब को बढ़ावा दे रही है। इसीलिए सरकार गोबर और गौ मूत्र खरीद रही है इससे गोबर खाद्य बनता है
बारी :- महँगाई के इस जमाने मे किसान कब तक साग सब्जी फल खरीद कर खा पायेगा। इसलिए सरकार किसान लोगो से अपिल कर राही है की किसान अपना बाड़ी लगाये। खुद के लिए साग सब्जी फलमूल लगाये कम से कम खुद के खाने का तो काम आयेगा ही और ज्यादा हो गयी तो थोड़ी बहुत कमाई भी हो जायेगी। इसके लिए सरकार सोलर पावर कम कीमत में लगा रही हैं।